मायागंज अस्पताल में आईसीयू के 32 बेडों में सिर्फ 16 बेड पर ही मरीजों का इलाज हो रहा है। इसके अलावा, आईसीयू स्टोर में उपकरणों को धूल फेंक दिया जा रहा है। कुछ मरीजों को अपने इलाज के लिए आवश्यक उपकरणों और बेड नहीं मिल रहे हैं, जिसके कारण वे सामान्य वार्ड में तड़प रहे हैं। इस समस्या के समाधान के लिए बिल्डिंग की मरम्मत के नाम पर आईसीयू ब्लॉक बंद किया गया है। हिस्से की मरम्मत करने के लिए अभी आजतक कोई एजेंसी नहीं आई है।
आईसीयू वार्ड में उच्च स्तर की पारवी होने के बाद ही मरीजों को बेड दिए जा रहे हैं, जो बड़ी समस्या बन चुकी है। इसके परिणामस्वरूप, एक मरीज की मौत हो गई है। यहां गैंगरेप पीड़िता को भी आईसीयू की जरूरत है, लेकिन वह इलाज प्राप्त नहीं कर पा रही है। एचडीयू में डेंगू के मरीजों का इलाज हो रहा है, लेकिन बाइपैप या अन्य मशीन को किसी भी वार्ड में लगाने की व्यवस्था नहीं है। इसलिए, आईसीयू छत की मरम्मत करने के लिए एजेंसी से काम पूरा कराने की मांग की गई है। अस्पताल के डाॅ. उदय नारायण सिंह ने इन समस्याओं को उजागर किया है।
यह सब घटनाओं के चलते ही हमारे यहां ‘E-Postmortem’ के माध्यम से जानकारी हासिल करने के बाद, हम लोगों की ध्यान इस मामले पर खींचा गया है। हमें आशा है कि अस्पताल द्वारा इन समस्याओं का त्वरित समाधान होगा और मरीजों को उचित इलाज प्रदान करने की व्यवस्था की जाएगी।
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