दिल्ली में गंगा जल विशेषज्ञों की टीम ने एक बड़ा खुलासा किया है। इस टीम ने कहा है कि गंगा जल में नगरीय प्रदूषण और अशुद्धता की मात्रा अत्यधिक है।
टीम द्वारा किया गया एक अध्ययन दिखा रहा है कि गंगाजल में निकेल, यूरिया, फॉर्मालिन, फेनोल और कई और जहरीले पदार्थ होते हैं। ये पदार्थ हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। यदि हम इन्हें पीते हैं, तो ये हमारे थलीष्थ शरीर को बर्बाद कर सकते हैं।
यह बात ध्यान देने योग्य है कि गंगाजल के अलावा ब्रह्मपुत्र नदी का जल भी उसी तत्व के साथ नियंत्रित प्रदूषण का असर दिखाता है।
इस टीम के प्रमुख वैज्ञानिक ने सरकार से मुख्यतः नगरीय और औद्योगिक प्रदूषण को कम करने के लिए सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि इसके बिना गंगा नदी की प्रदूषण समस्या का हल करना मुमकिन नहीं है।
इस अध्ययन के माध्यम से हमें पता चला है कि गंगा नदी के महत्वपूर्ण शहरों के पानी में नगरीय प्रदूषण की गम्भीरता और अशुद्धता के प्रमाणों के बारे में। यह संकेत देता है कि हमारी योजनाओं को सही दिशा में बदलने की जरूरत है।
गंगा नदी की प्रदूषण समस्या एक बड़ी चुनौती है, और हमें इसे जल्दी से जल्दी हल करना चाहिए। यह सभी के लिए अत्यंत आवश्यक है कि हम अपने कर्तव्यों को लेकर सतर्क रहें और सरकारी नीतियों के पालन के लिए सहकार्य करें। गंगा मानव जीवन का पवित्रतम जल स्रोत है, और हमें उसे स्वच्छ रखने के लिए जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
इन सभी मामलों का ध्यान रखते हुए ‘E-Postmortem’ ने इस मुद्दे को आगे बढ़ाने का क्रांतिकारी कदम उठाया है। हमें सही रणनीतियों को लागू करके, नगरीय और औद्योगिक प्रदूषण को रोकने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए। इससे हम अपनी मातृभूमि को सुरक्षित रख सकेंगे और आने वाली पीढ़ी को एक स्वच्छ और स्वस्थ भविष्य बनाने में सहायता मिलेगी।
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